काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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खाली तख़त काटने को दौड़े मन व्याकुल है उर बेज़ार, बबुआ संग शहर चले गये सब जन हो तैयार।

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खाली तख़त काटने को दौड़े मन व्याकुल है उर बेज़ार। बबुआ  संग  शहर  चले  गये  सब  जन  हो  तैयार। कल मुस्काया था जी भर कर  पलकें रहीं निहार। बब...
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