काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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संपूर्णानंद मिश्र

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*एक बेटी ऐसी‌ भी* ------------------------------    जब आंखें     उसकी खुली  कुछ जानने समझने      लायक हुई मलिन बस्तियां स्वागत में   खड़ी थी...

ऋद्धि निराला

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अब कब आओगे भगवान, बन के श्री कृष्ण या राम! तुम तो जग के पालनहार, बढ़ गये कलयुगी अत्याचार! पापों का संघार करो, इस युग का कल्याण करो!  युग बदल ...

राजेंद्र रायपुरी

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😌😌 तन में ही दूरी रहे 😌😌 तन में ही दूरी रहे,                     मन में रहे न कोय। मन  में  दूरी  जब  रहे,                काज सफल नहिं ह...

एस के कपूर "श्री हंस*" *बरेली*।

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*हे कॅरोना।मानवता   को यूँ ही* *मरने नहीं देंगें।* घर में ही   रहो अभी  चुपचाप, इस कॅरोना  की    चाल  देखो। इस विनाशी  कॅरोना  की जरा, यह   ...

विनय साग़र जायसवाल

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ग़ज़ल---- जश्नने-दीवानगी यूँ मनाया करो जाम आँखों से अपनी पिलाया करो रोज़ छाती नहीं है घटा प्यार की  प्यार की बारिशों में नहाया करो दिल को तुमसे...

निशा"अतुल्य"

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निशा"अतुल्य" देहरादून अभी दूरी बनाए रखनी है 25.4.2020 संगरोध न हो कहीं एकांत में रहो सभी  होगी समाजिक दूरी पानी गर्म पीजिये। देश ब...

सुनील कुमार गुप्ता

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कविता:-     *"सोचकर देखो जरा"* "क्या-खोया,क्या-पाया साथी, इस जीवन में- सोचकर देखो जरा। तेरा-मेरा करते -करते साथी, कितना-कुछ ख...

कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

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हे मां वीणा धारणी *************** हे मां शुभ्र वस्त्रधारिणी, दिव्य दृष्टि निहारिणी,  हे मां वीणा धारणी , पाती में वीणा धरै, तू कमल विहारिणी।...

सत्यप्रकाश पाण्डेय

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मन भावन अति रूप सुहावन जगत पिता मां बृज ठकुरानी पीत वसन राजत अति पावन बृषभानु सुता श्री कुंज बिहारी सारा जगत विमोहित तुमसे जग रक्षक जग पालन ...

_अश्क़ बस्तरी_

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तेरी हर याद को दिल से मिटाना....चाहता हूँ मैं, ख़ुदी ख़ुद से ख़ुदी को भूल जाना...चाहता हूँ मैं, गुज़र जाए न यूँ ही बेख़याली...... में उमर सा...

लक्ष्मी तिवारी फूलपुर अंबेडकरनगर

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दर्द का श्रृँगार कर वक्त की हर माँग को पहचान कर चलते रहो, दर्द का श्रृँगार कर सुख-दीप सा जलते रहो अर्न्तकलह से दूर रहो हर साँस का एहसास कर, ...

जयश्री श्रीवास्तव जया मोहन  प्रयागराज

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एक कहानी बुंदेली  करिया रात भर चांदनी के साथ अठखेलियां कर चंदा सूरज के उगने की आहट सुन शर्मा कर जा रहा था ।सूर्यदेव अपने रश्मि रथ पर सवार हो...

संजय जैन (मुम्बई)

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बहिना तुम्हें नमन* विधा : गीत भजन (तर्ज: तेरे नाम तेरे नाम....) तेरे नाम परिवार की शान, बहिना तुझ पर है अभिमान। ओहो ओहो तुम पर,  हम को है अभ...

निशा"अतुल्य"

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साया सायली 1,2,3,2,1 वर्णिक विधा साया चलता साथ नही छोड़ता कभी तन्हाइयों में भी। घेरते जब अंधेरे मुझे सरेराह दिखता साया लैम्पपोस्ट  नीचे। ऊर्ज...

सुनीता असीम

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दिल में जब भगवान रहेगा। धरती पर       इंसान रहेगा। *** हम सब भूलें दुख के लम्हे। क्या ऐसा आसान रहेगा। *** पास खुदा के जाना सबको। कब तक तू अन...

अनुराग मिश्र

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हम निरंतर बढ़ चले हैं, प्रगति की  एक राह में l दया करुणा भावनाओं, से रहित संसार में ll धूल ने अब लील ली, जो लालिमा थी भोर में l पंछियों की च...

आलोक मित्तल

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ग़ज़ल ******** हम भी यार दिवाने है वो लौ हम परवाने है ।। दिल जला किसी का यारो, दीये और जलाने है ।। छोड़ना नही हाथ कभी, रिश्ते सभी निभाने है ।। ...

  डा.नीलम

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*जज्बात मेरे* महफूज रक्खें हैं मेरे जज्बात अक्षरों की शक्ल में दिल की किताब से निकाल कर उन्हें सजा लिया है पुस्तक की शक्ल में तनहाई में अक्स...

सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता " झज्जर (हरियाणा ) संपर्क - +91-

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खामोश सब...  इल्ज़ामों का सज रहा मंडप.  वकील-पुलिस की हुई झड़प.  हाथ उठ गया एक दूजे पर,  धरनों  से भर गयी सड़क.  समाज में गलत सन्देश गया ,  ज़िम...

भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.

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*"पुस्तक"*(वर्गीकृत दोहे भाग2) **************************** *पुस्तक युग-अभिलेख है, धर्म-सृजक पहचान। साधक की है साधना, मंगल वाणी जा...

हलधर

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मुक्तिका (ग़ज़ल) --------------------- बाहर  सन्नाटा  पसरा  है  अंदर  अंदर  शोर क्यों । साहूकार जिसे माना था वो ही निकला चोर क्यों ? तन से साफ...

नूतन लाल साहू

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पंचायती राज धन दौलत अडबड़ कमायेन अब आगे हमर बुढ़ापा अब जाये के बेरा म पतवार बने हे पंचायती राज ह फोकट म सरकार हा कापी किताब गणवेश सिलाथे पड़...

भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

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*"पुस्तक"*(वर्गीकृत दोहे भाग 1) **************************** *अच्छी पुस्तक मित्र सम, करती हमसे बात। देती जीने की कला, मिले ज्ञान-स...

धनंजय सिते(राही)

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*विश्व पुस्तक दिवस*      *23 अप्रेल*     ************ किताब केवल किताब नही हमारा सबसे अच्छा मित्र है! मानव जीवन को महका दे पुस्तक ऎसा सुगंधि...

यशवंत"यश"सूर्यवंशी

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🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷        भिलाई दुर्ग छग विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं 🍂विधा कुण्डलिया छंद🍂 📚📚📚📚📚...
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