काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार एस के कपूर "श्री हंस"बरेली

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एस के कपूर "श्रीहंस" पता- 06,पुष्कर एन्कलेव।टेलीफोन टावर के सामने स्टेडियम रोड बरेली (ऊ प्र)।(243005)   आयु।70वर्ष व्यवसाय।सेवानिव...

सीमा शुक्ला अयोध्या

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घनघोर श्यामल ये घटा नभ में अलौकिक छा गई। रिमझिम गिरी बूंदे धरा, ऋतु वृष्टि की है आ गई।   घन बीच चमके दामिनी, वन में शिखावल नृत्य है। तरु झूम...

डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश' 

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'शान्ति की खोज में' एक कविता  """""""""""""""""...

डॉ बीके शर्मा

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बड़ा एहसान किया तुमने :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: साहिल जो प्यार राहों में  दिया तुमने | इस काफिर पर  बड़ा एहसान किया तुमने || ...

कालिका प्रसाद सेमवाल

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तुम्हीं सच बताओ मुझे मान दोगी ******************** तुम्हें गीत की हर लहर पर संवारूँ, तुम्हें जिन्दगी में सदा यदि दुलारूँ, तुम्हीं सच बताओ मु...

डॉ बीके शर्मा 

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यह मेरा हक है ************* नियति  "रकवा" नहीं किसी का  खूब जियो  और जीने दो यह मेरा हक है || इस जगती में  जो भी जीवनरस है खूब पिय...

सुनीता असीम

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गीतिका    हिज्र के पालने में सुलाना नहीं। आशिकी में हमें यूँ रूलाना नहीं। ***** देख बढ़ती हुई दूसरों की खुशी। आप अपना कभी दिल जलाना नहीं। **...

कालिका प्रसाद सेमवाल

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जीवन में दुत्कार बहुत है ******************* द्वार तुम्हारे आया हूँ प्रिय, जीवन में दुत्कार बहुत है।   जीवन का मधु हर्ष बनो तुम, जीवन का नव ...

निशा"अतुल्य"

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दोहे पर मेरा प्रयास  😊🙏🏻   दिन मेरा बीते नही, ना ही बीते रात  धरा ग्रीष्म में तप रही,कब होगी बरसात ।   व्याकुल पंछी जीव हैं,ढूंढे वृक्ष क...

डॉ0हरि नाथ मिश्र

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*गीत*(16/16राधेश्यामी छंद) कब से तरस रहीं थीं आँखें, उड़ न रहीं थीं मन-खग पाँखें। नव प्रकाश ले अब तो आईं, कटीं जो रातें तनहाई में। प्रीतम पाव...

संजय जैन (मुम्बई

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*गुलाब हो या दिल* विधा : कविता   मेरे दिल में अंकुरित हो तुम। दिलकी डालियों पर खिलते हो। और गुलाब की पंखड़ियों की तरह खुलते हो तुम। कोई दूसरा...

डॉ निर्मला शर्मा

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ऑनलाइन क्लास    कोरोना के संक्रमण से बदल गया संसार  क्षेत्र न कोई छूट रहा फैले विविध विकार विकास की गति धीमी हुई सिमट गया संसार संक्रमण के क...

सत्यप्रकाश पाण्डेय

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अदभुत चितवन देखके, भूल गये भव ताप। मुरलीधर की मोहिनी, हर लीन्हे संताप।।   जगतपिता तेरी कृपा, सत्य हृदय कूं फूल। सुरभित हुए तन मन प्रभु,  जग ...

डा.नीलम

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*माटी*   माटी माटी करता हो माटी को न जाने हो माटी होकर देखो तो माटी क्या है जानोगे   एक बीज रोपके देखो श्रम बिंदुसे सींच के देखो माटी के हमद...

एस के कपूर"श्री हंस" बरेली

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*चीन को सबक सिखाना* *है।।।हाइकू।।।।* 1......है दगाबाज सिद्ध हो गया आज चीनी आवाज़ 2........कॅरोना दिया विश्वास हर लिया यह क्या किया 3.......ये...

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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धर्म निरपेक्षता ढकोसला     धर्म ,समाज ,राष्ट्र धरोहर माँ ,जन्म ,जन्म भूमि की  पहचान।। धर्म ,धन्य मानवता का अभिमान । धर्म ,संस्कृति ,संस्कार ...

राजेंद्र रायपुरी

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😊😊 एक गीतिका 😊😊   भले-बुरे की जिनको यारो,               जग में है पहचान नहीं। उनको तुम पशुवत ही मानो,                सच में वे इंसान नही...

सुनील कुमार गुप्ता

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कविता:-     *"न मन हारे-न तन हारे"*   "सोचे पल-पल मन जग में, कैसे-बीते ये जीवन? देखे सपने बचपन में, आदर्श होगा ये जीवन।। टूटे...

भरत नायक "बाबूजी

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चाणक्य नीति ----- (दोहानुवाद) **************************** ■बहूनां चैव सत्तवानां रिपुञ्जयः । वर्षान्धाराधरो मेधस्तृणैरपि निवार्यते॥ भावार्थ ...

डॉ0हरि नाथ मिश्र

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क्रमशः....*अठारहवाँ अध्याय*(गीता-सार) जदि तू भजहु मोंहि चितलाई। सुनु मम सखा औरु मम भाई।।      पइबो हमहिं अवसि हे मितऊ।      सत्य प्रतिग्या इ...

कालिका प्रसाद सेमवाल

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मां सरस्वती ********** हे मां सरस्वती, तू प्रज्ञामयी मां चित्त में शुचिता भरो, कर्म में सत्कर्म दो बुद्धि में विवेक दो व्यवहार में नम्रता दो...

प्रभुनाथ गुप्त 'विवश

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'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020' पर एक कविता """"""""""""""...

प्रिया चारण  उदयपुर राजस्थान

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योग   कष्टो से वियोग है योग शान्त मन , स्वस्थ शरीर का प्रयोग है योग आयुर्वेद का शोध है योग   आनन्दित मन  दयावान आचरण करुण हृदय, और  सूर्यनमस...

नूतन सिन्हा

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पिता न होती लोरियाँ पिता के पास          वो होते है मोटे तने और गहरी जड़ो वाला एक विशाल वृक्ष और मॉ होती है उस वृक्ष की छाया,जिसके नीचे बच्च...

आशा त्रिपाठी

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पिता की छत्रछाया में सभी गम भूल जाते है। पिता के धैर्य की आभा हमेशा याद आते है। पिता आकाश पूरा है, हृदय आधार है घर का। पिता के स्नेह मे बच्च...
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