काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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भरत नायक "बाबूजी"

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भरत नायक "बाबूजी" 2- माता का नाम- स्व. चम्पादेवी नायक  पिता का नाम- स्व. अभयराम नायक सहधर्मिणी का नाम- श्रीमती राजकुमारी नायक संता...

काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार सविता मिश्रा, वाराणसी उत्तर प्रदेश l

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सविता मिश्रा पुत्री :- श्री राम नारायण मिश्रा जन्मतिथि :- 29 दिसम्बर 1982 शिक्षा :- परास्नातक कार्य क्षेत्र :- शिक्षा, समाज सेवा और काव्य ले...

डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश

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चिट्ठी न कोई ख़बर आ रही है......... एक ग़ज़ल     """""""""""""""...

डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

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*दोहा ग़ज़ल*   चापलूस के जाल में कभी न फँसना यार। बाहर से मीठा बनत भीतर है तलवार।।   बहुत अधिक चालाक है चापलूस की जाति। मूर्ख बनाने का मिला है...

डॉ0हरि नाथ मिश्र

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त्याग-महात्म्य-2 तजि आलस कुरु बिनु फल-इच्छा। सेवा-भाव त्याग कै सिच्छा ।।    आलस त्यागि करहि जे करमा।    निज गृह-काजु-दान-जगि-धरमा।। लहहिं पर...

डॉ0हरि नाथ मिश्र

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दोहा गीत(चीन के लिए चेतावनी) भारत की प्रभुता अमिट, नहीं किसी आधीन। हिंद-सैन्यबल अति सबल,बचकर रहना चीन।।   करो नहीं तुम मूढ़ता,सीमा को मत तोड़।...

प्रिया चारण उदयपुर राजस्थान

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शीर्षक-जीवन जीने का सलीका   सुबह माँ की मीठी आवाज़ से सुप्रभात हो सूर्य नमस्कार से   फिर एक सुबह का भ्रमण हो जिसमे चारो दिशाओ का गमन हो   मंद...

दयानन्द त्रिपाठी"दया"*

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बढ़ गयी है पीर ऐसी जख़्म सारे दिख रहे पाप हो या पुण्य हो हम सभी तो पीस रहे।   कौन कहता है तूँ बच गया, देखने में एक-दूसरे के मजे हैं सध गया।   ...

संजय जैन (मुम्बई

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*खो न जाँऊ कही* विधा : गीत   खो न जाँऊ कही, अपने के बीच से। इसलिए लिखता हूँ, गीत कविता आपके लिए। ताकि बना रहे संवाद, हमारा आप के साथ। और मिल...

सत्यप्रकाश पाण्डेय

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आँखें   मेरी आँखों की ज्योति  तुमही आँखों का श्रृंगार रहो सामने आँखों के दे दो इतना सा उपहार   भर जाती हैं खुशियां आँखें हो जाती खुशहाल आँखो...

भरत नायक "बाबूजी

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चाणक्य नीति ----- (हिंदी दोहानुवाद) **************************** ■बहूनां चैव सत्तवानां रिपुञ्जयः । वर्षान्धाराधरो मेधस्तृणैरपि निवार्यते॥ भा...

एस के कपूर "श्री हंस"* *बरेली।*

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*श्री गणेश गजानन।* *करें स्तुति पावन।।*   श्री गणेश लंबोदर विघ्नहर्ता भागे डर अब रोज़ पूजा कर *रिद्धि सिद्धि दो पुत्र*   श्री गणेश विनायक हर ...

नंदलाल मणि त्रिपाठी

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जिंदगी एहसास अजीब दोस्त दुश्मन के बीच गुजराती दोस्त भी कभी नाम के। मौका मतलब कस्मे वादे दुश्मन कभी दोस्त दोस्ती का मतलब समझाते।।   दोस्त कभी...

सत्यप्रकाश पाण्डेय

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चांद सितारों सी ज्योति  जगमग किया है जीवन हे युगलरूप ह्रदय भूप तुमसे बड़ा न कोई धन   मोरमुकुट सिर शोभित प्रभु कर में मुरली साजे संत हिय के सौ...

नूतन लाल साहू

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अब तो चेत जा महाकाल के डमरू बाजत हे कोरोना ह अडबड़ बाढ़त हे देख ले तैहर,ध्यान लगाके कहना बरजना ल काबर नइ मानत हस कर ले मौन साधना,सावधानी के ...

राजेंद्र रायपुरी

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दोहा छंद पर एक मुक्तक- -  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 सावन आया आ चलें,                       हम भोले के द्वार। गंगा जल अर्पित करें,                    ...

सुनील कुमार गुप्ता

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कविता:-          *"अपने"* "यथार्थ धरातल से जग में, जूड़ पाते जो जीवन सपने। सपनो की इस दुनियाँ में भी, वो तो होते फिर से अपने।।...

डॉ0हरि नाथ मिश्र

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क्रमशः...*प्रथम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-25 कुपित भयो ऋषि परसुराम जी। जब धनु तोरे सिरी राम जी ।।    तुरत पधारे जहँ धनु टूटा।    लागहि परसु-क्रो...

डॉ निर्मला शर्मा दौसा राजस्थान

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बारिश का मौसम बारिश का मौसम जब आये मन गाये मल्हार तितली सा मन उड़ता फिरता देखे स्वप्न हज़ार   कण कण में अमृत रस बरसे सरसे पेड़ पहाड़ बारिश की नन...

अवनीश त्रिवेदी 'अभय'

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एक सामायिक कुण्डलिया   जीवन के इस दौर में, संकट बढ़ता जाय। कैसे सब इससे बचे, सूझै नही उपाय। सूझै नही उपाय, पेट भूखे है सारे। महँगाई बढ़ रही, आ...

सीमा शुक्ला अयोध्या

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बंजर धरती पर फिर से हरियाली लाएं फिर वसुधा पर रंग बिरंगे फूल खिलाएं।   कटे कोटि तरु कानन में अब छांव कहां? पीपल बरगद वाला है अब गांव कहां? व...

सीमा शुक्ला अयोध्या

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घनघोर श्यामल ये घटा नभ में अलौकिक छा गई। रिमझिम गिरी बूंदे धरा, ऋतु वृष्टि की है आ गई।   घन बीच चमके दामिनी, वन में शिखावल नृत्य है। तरु झूम...

सीमा शुक्ला अयोध्या

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कृषक-व्यथा  .................   आज कवि मन कह रहा है कुछ व्यथा उनकी लिखूँ मैं , दर्द मे जीते सदा जो कुछ कथा उनकी लिखूँ मै ।   अन्नदाता एक पल ...

डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

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*दोहा ग़ज़ल*   माँ की ममता अप्रतिम नैसर्गिक अनुराग। दिल के टुकड़े के लिये सहज समर्पण त्याग।।   शिशु की सेवा में सतत रहती है लवलीन। शिशु को निरख...

प्रिया चारण

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अपनेपन का ढोंग रचा है , हर मनुष्य समय संग गिरगिट बना है । तस्वीर में साथ जो था कल तलक, आज वो अनजान बन निकला है ।   कैसे कहु कोन अपना, कोन पर...
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