काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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दोहा-लेखन बोले प्यारी कोकिला,जब आए मधुमास। पिया-मिलन विश्वास की,जागे मन में आस।। हैं रवि-शशि-तारे सभी,आभूषण आकाश। अहो भाग्य है अवनि का,पाए ...

डॉ०रामबली मिश्र

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*दरिद्र* दरिद्रों को नित आती बातें बहुत हैं। बिना अन्न मरते पर वादे बहुत हैं।। नहीं जेब में एक रुपया दो रुपये। शेखी बघारन को पैसे बहुत हैं...

डॉ० रामबली मिश्र

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*दरिद्रों की बस्ती...(ग़ज़ल)* दरिद्रों की बस्ती बहुत दूर रखना। दूरी बनाकर बहुत दूर रहना।। मन में बहुत पाप रहता है इनके। दूरी बनाकर सँभलकर वि...

सुनीता असीम

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अगर नफरत रही तो प्यार भी है। निगाहे यार में इकरार भी है। **** विरह की आग में जलती है काया। मिलन अपना बड़ा दुश्वार भी है। **** नज़र हमसे...

पँचपर्व सम्मान समारोह सूची

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 पँचपर्व समारोह 2020 पंच पर काव्य समारोह 2020 में प्रतिभाग करने के लिए निम्नलिखित महानुभाव द्वारा प्रस्तुतिकरण किया गया संस्था प्रमुख अखिल व...

विनय साग़र जायसवाल

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 ग़ज़ल सर उठा कर जो सर-ए-राहगुज़र चलते हैं ऐसे किरदार ज़माने को बहुत खलते हैं हुस्ने -मतला- हाथ में हाथ पकड़ कर  यूँ चलो  चलते हैं ऐसे मौक़े भी कह...

आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला

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 🌹🙏🌹सुप्रभात🌹🙏🌹 अंकुरित अन्न आमला अमरुद अंगूर अन्य खट्टे फल , शलजम सेव चुकंदर चौलाई केला बेर बिल्ब कटहल , टमाटर मूली पत्ते पालक पुदीना...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 वहम(ग़ज़ल) यदि मन में पलता ज़रा भी वहम है,  दुनिया लगे के यहाँ ग़म ही ग़म है।। बहुत ही भयानक वहम भाव भरता, लगे भूतखाना निजी जो हरम है।। लाता विच...

डॉ० रामबली मिश्र

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 *आइये....(ग़ज़ल)* आइये दिखाइये अब गगन प्यार का। चाहता हूँ देखना मैं मगन यार का।। आइये सुनाइये अब प्यार के भजन। पूछिये कुछ हाल-चाल मजेदार का।।...

एस के कपूर श्री हंस

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 *।।रचना शीर्षक।।* *।।अनमोल है रिश्तों की सौगात,* *इन्हें रखो संभाल कर।।* अहम और   वहम मानो    तो रिश्तों की  आरी  है। जिद्द  और    मुकाबला ...

नूतन लाल साहू

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 श्रृद्धा जब नाव भी तेरी,दरिया भी तेरा लहरें भी तेरी और हम भी तेरे तो डूबने का क्या,खौफ करे प्रभु जी प्रभु जी तेरा लाल हूं मै तू भूल न जाना ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 षष्टम चरण(श्रीरामचरितबखान)-14 अंगद-क्रोधइ भवा अपारा। सुनि रावन बरनत गुन सारा।      कह अंगद सुनु सठ-अभिमानी।       अचरज बड़ तुम्ह राम न जानी।...

राजेंद्र रायपुरी

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 😊😊 जग जाहिर बात 😊😊 जग जाहिर ये हो गया,                       हैं वे नहीं किसान। जो बैठे हैं सड़क पर,                     अपनी भृकुटी ता...

कालिका प्रसाद सेमवाल

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 ~~~सरस्वती वंदना~~~ ~~~~~~~~~~~~~ *माँ मुझे ऐसा वर दे  दो* ★★★★★★★★★★ वर दे वरदायिनी वर दे, मैं काव्य का पथिक बन जाऊँ, थोड़ी सी कविता माँ मै...

काव्य रँगोली आज के सम्मानित रचनाकार प्रीति शर्मा" असीम" कवयित्री

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 परिचय - नाम    - प्रीति शर्मा" असीम" (कवयित्री/ लेखिका नाम -प्रीति शर्मा "असीम" पिता का नाम -श्री प्रेम कुमार शर्मा मात...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 बाल-गीत नाना मुझको पैसे दे दो, जैसे-तैसे-वैसे दे दो। मुझको टॉफ़ी खानी है- देती मुझे न नानी है।। चंदू चाचा पैसे लेते, लेकर पैसे तब हैं देते। ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 लिख रहा हूँ....ग़ज़ल पूछो न मुझसे मैं क्या लिख रहा हूँ, तुम्हारे लिए मैं ग़ज़ल लिख रहा हूँ।। बहुत ही दिनों से तू थी कल्पना में, तुम्हारे लिए मै...

डॉ० रामबली मिश्र

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 *तेरी याद में.        (ग़ज़ल)* तेरी याद में अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ। मोहब्बत का मारा सजल लिख रहा हूँ।। नफरत से टूटा हुआ यह हृदय है। भजन करके तेरा ...

निशा अतुल्य

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 कान्हा स्तुति 13.12.2020 कान्हा मुरली निराली है  बजती मधुर मधुर  मन को भा जाती है  कभी बन राधा झूमें  कभी मीरा बन जाती है । मोर मुकुट सिर प...

डॉ० रामबली मिश्र

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 *हाय मनमीत... (ग़जल)* हाय मेरे मीत तुम बेजोड़ हो। रच रहे संसार को दिलजोड़ हो।। है बहुत रचना निराली तुम रचयिता।। तुम स्वयं अनमोल प्रिय बेजोड़ हो...

डॉ० रामबली मिश्र

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 *अनमोल रचना*       *(दोहा)* वह रचना अनमोल है, रचे जो सुंदर देश। अच्छे उत्तम भाव से, दे शुभमय संदेश।। मौलिक रचना अति सहज, रचे सुखद संसार। दि...

अंजुमन आरज़ू

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 वज़न   -   2122   2122   2122   2                              ग़ज़ल हुक्मरानों    से    हुई   तकरार   दफ़्तर  में ।  सिरफिरी  है  आजकल  सर...

शिवम् कुमार त्रिपाठी 'शिवम्'

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 जब ईश्वर नव निर्माण कर रहा था किन्हीं के सपनों को साकार कर रहा था वह नन्हा जीव था अचंभित भविष्य को लेकर था चिंतित पूछ ही डाला विचलित होकर आ...

विनय साग़र जायसवाल

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 ग़ज़ल निगाहों से जो छुप छुप कर बराबर वार करते हैं  मुहब्बत से वो महफ़िल में सदा  इन्कार करते हैं हुस्ने-मतला-- कभी इज़हार करते हैं कभी इनकार कर...

आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला

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 🌹🙏सुप्रभात🙏🌹 दूध दही अंकुरित अन्न अंडा भुर्जी, लस्सी मछली मेवा बर्फी । छाछ पनीर चावल चिकन काजू लड्डू तिल के लड्डू काजू बर्फी । । टर्की ...
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