काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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निशा अतुल्य

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 हमारी बेटियाँ 6.2.2021 नन्ही कलियाँ फूल बनेगी इनसे ही बगियाँ महकेगी । खोल पँख गगन उड़ जाए ये तो जा कर फ़लक छुएगी ।। कोई कल्पना कोइ विलियम कोई...

दीपक शर्मा

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 *मोहल्ला क्लाॅस* बच्चों को इंतजार करते हुए कई महीने हो गये किंतु स्कूल अब तक तक नहीं खुला।  साहेब ने कह दिया - "अब मोहल्ला क्लास पढ़ाइ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 सजल मात्रा-भार-21 समांत-आनी अब तो लिखनी एक कहानी चाहिए। लिखकर सबको इसे सुनानी चाहिए।। विस्मृत लगती संस्कृति अपनी जैसे। गाथा संस्कृति की पुर...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 *गीत*(लोक-भाषा में) डरबै उसरा पे मड़ैया, चिरई तोहका लइ के ना। नाहीं करबै हम ढिठैया- चिरई तोहका लइ के ना।। गर्मी-सर्दी सब कछु सहबै, खेती करबै...

सुनीता असीम

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 दिल के सूनेपन को अब आबाद कर। ग़म नहीं सुख की ज़रा तादाद कर। **** कर  लिया  दुश्मन  बनाके  सामना। गाँठ दिल की खोलकर इतिहाद कर। *** बाग मन का...

नूतन लाल साहू

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 पल दो पल की बातें जिंदगी उसी को आजमाती है जो हर मोड़ पर चलना जानता है कुछ पाकर तो,हर कोई मुस्कुराता है पर जिंदगी,उसी की होती है जो सब कुछ ख...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 * सप्तम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-1 बंदउँ कमल चरन रघुराई। सरसिज नयन लखन के भाई।।      पीत बसन धारी प्रभु रामा।      बरन मयूर कंठ अभिरामा।। कर म...

नेह सनेह प्रतियोगिता 2020

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  नेह सनेह प्रतियोगिता 2020 काव्य रंगोली नेह काव्योत्सव ऑनलाइन 2020 ********************* माधवी गणवीर छत्तीसगढ़ राजनांदगांव 9685505911...

डॉ0निर्मला शर्मा

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 आयौ मधुमास आयौ मधुमास प्रिय छायौ अनुराग हिय। छिटके चहुँ ओर रंग बदला जीने का ढंग। नदी आकाश प्रकृति ईश की अनुपम कृति। तन - मन मदमायौ ऋतुराज द...

मन्शा शुक्ला

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 बिषय   सियाराम विधा    दोहा परम पावन मंच का सादर नमन     ..  सुप्रभात 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐💐💐💐💐 राम नाम पतवार है, जीवन का आधार। ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 *षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-63 सजल नयन जोरे निज पानी। पुलकित तन नहिं निकसै बानी।।      ठाढ़ि रहे सभ रामहिं सम्मुख।      कहि न सकहिं कछु विह...

नूतन लाल साहू

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 आत्मचिंतन जीवन ऐसा हो जो संबंधों की कदर करें और संबंध ऐसा हो जो याद करने पर मजबुर कर दें भगवान श्री कृष्ण,अर्जुन से कहते है पता नहीं शायद त...

एस के कपूर श्री हंस

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 *।।रचना शीर्षक।।* *।।यकीन का खाद पानी, बचा कर* *रखता है हर रिश्ते को।।* आपस में बचे नहीं  यकीन जब तो रिश्ता छूट जाता है। नज़रों का लिहाज न ब...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 *मन की पीड़ा* मन की पीड़ा  देख कर राष्ट्र-छवि को बिलखते हुए, मन में पीड़ा मेरे ऐसी होने लगी। जैसे पंछी कोई पा जला आशियाँ - छटपटा जा,जहाँ शाम ह...

सुनीता असीम

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 प्रेम तो       बेहिसाब होना था। भक्त का जब खिताब होना था। ******** देखकर सामने कन्हैया को। फिर हमें इज्तिराब होना था। ******** रोशनी देने क...

डॉ0 निर्मला शर्मा

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 * सरस्वती वंदना * करबद्ध करती प्रार्थना, माँ शारदे की वन्दना। हाथों में लेकर पुष्प में, करती हूँ माता अर्चना। हे !भारती वागीश्वरी, करती हूँ...

डॉ.राम कुमार झा निकुंज

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 दिनांकः ०४.०२.२०२१ दिवसः गुरुवार छन्दः मात्रिक विधाः दोहा विषयः शूल भूल   सदा  करता  मनुज , जीवन को   अनुकूल। चिन्तन यदि प्रतिकूल  मन , बने...

डा0 हरिनाथ मिश्र

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 *षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-62 तपस-बेष अरु दूबर गाता। नेम व धरम सहित मम भ्राता।।       सुमिरत पल मोंहि कल्प समाना।        केहि बिधि तुरत त...

सुनीता असीम

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 चोट नहीं अब खानी है। मरहम सिर्फ लगानी है। *************** बदरा विरहा भड़काते। कुदरत की शैतानी है। ****************** उन बिना सांस नहीं आती।...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 गीत           *गीत*(16/16)  जीवन-सपना पूरा होता, यदि तुम कहीं नहीं जाते तो। अपनी प्रीति सफल हो जाती- तुम यदि प्रीति निभा पाते तो।। और नहीं ...

एस के कपूर श्री हंस

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 *।।रचना शीर्षक।।* *।। सारी दुनिया की आँख का* *तारा, मैं हिंदुस्तान हूँ।।* दुनिया   जहान     में  आला  मैं       हिंदुस्तान हूँ। सारे जग से ...

विनय साग़र जायसवाल

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 ग़ज़ल -- यूँ अपनी निगाहों में ज़िंदा  वो उजाले हैं अहसास के जुगनू को हम आज भी पाले हैं कुछ अपनी ख़ता ठहरी  कुछ दिल का तकाज़ा भी  कुछ उनकी अदा के...

नूतन लाल साहू

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 सत्य कथन दुनिया में दान जैसी कोई संपति नहीं है लालच जैसा कोई और रोग नहीं है अच्छे स्वभाव जैसा कोई आभूषण नहीं है और संतोष जैसा और कोई सुख नह...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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 *षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-61 देवराज कह हे रघुराई। तुमहिं कृपालु, तुमहिं सुखदाई।।      हे रच्छक सरनागत स्वामी।      मारेउ रावन सठ-खल-कामी...
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