काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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निशा अतुल्य

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हम दोनों  29.5.2021 शाम ढली और रात अंधेरी साजन साथ चले । नहीं कमी रही जीवन में कभी जब नई राह गढ़े । शुरू किया जब सफ़र साथ में तब भी थे हम दोनो...

अवधेश कुमार वर्मा कुमार

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लोकतंत्र लोकतंत्र के दौर में सबको मिला अधिकार, स्वतंत्रता मुखरित हुई जनता बनी सरकार। भेद-भाव का टूटा परचम समभाव जग में आया, लोकतंत्र के शासन...

डाॅ० निधि त्रिपाठी मिश्रा

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*कैसे कहूँ*  दिल में रहते हो हरदम तुम ही सनम,  दूरियाँ  हैं  बहुत   मै ये कैसे कहूँ ? साथ  तुम संग चले थे जो दो कदम,  मिट गये हैं निशाँ उसके...

कुमार विशु

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घोटालों  का  दौर  बताओ  कब  से  है , तुष्टीकरण  की राजनीति यह कब से है , भ्रष्ट  राज्य  की नींव  रखी किसने भाई, देश  जलाने  का  षड़यन्त्र  य...

रामकेश एम यादव

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कुदरत! कुदरत के सिवा इस धरती पर, कुछ और नहीं भ्रमजाल है ये। न जादू कोई, न टोना कोई, औरों की कोई चाल है ये। कुदरत ने हमें जंगल बख्शा, हमने उस...

डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी - काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार

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काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार ------------------------------------------- संक्षिप्त परिचय         --------------------------- नाम - डॉ....

लता विनोद नौवाल - काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार

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काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार 1- श्री गणेशाय नमः एकदंताय  विशालकाय  विद्या बुद्धि प्रदायक  गुणों के ईश  विघ्न विनाशक देवाय नमः  सबसे पह...

मन्शा शुक्ला

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अतुकांतिका नीव की ईट और नारी ..........................., नीव की ईट और नारी में होती है कितनी समानता दोनों ही बनी आधार देती  रहती है सम्बल प...

आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल

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पावन मंच को मेरा सादर एवं सप्रेम प्रणाम, आज की रचना!! लालच!! का अवलोकन करें*******                               लालिचु नीकु रही ना कबौ जगु ...

अरुणा अग्रवाल

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नमन मंच,माता शारदे,गुणीजन शीर्षक"तुम मेरी मौन हो" 28।05।2021।  तुम मेरी मौन हो,ओर क्या हो, लाशों से तब्दील हो रही जिन्दगी, कुछ इस ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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नवाँ-1   *नवाँ अध्याय*(श्रीकृष्णचरितबखान)-1 एक बेरि जसुमति नँदरानी। मथन लगीं दधि लेइ मथानी।।      सुधि करतै सभ लला कै लीला।      दही मथैं मै...

नूतन लाल साहू

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दो हजार बीस इक्कीस तुझे धिक्कार कितने झटके,कितने सदमे कितने नाटक,कितने मजमे हवा भी हो गई जहरीली कितना धुंआ,कितनी लाशें आफत की बरसात दो हजार ...

मधु शंखधर स्वतंत्र

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*सुप्रभातम्*🙏🙏 *मधु के मधुमय मुक्तक* 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 🌹🌹 *तूफान*🌹🌹 ---------------------------------- ◆ कैसा ये तूफान है , शक्ति कर रहा ...

एस के कपूर श्री हंस

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।।आस में विश्वास का नाम ही* *जीवन है।।* *।।विधा।।मुक्तक।।* 1 आस में आस   का नाम ही  जीवन है। विश्वास      का      नाम ही  जीवन है।। धैर्य वि...

विनय साग़र जायसवाल

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ग़ज़ल-- दिल की चादर ज़रा बड़ी कर ली घर की बगिया हरीभरी कर ली ग़म के सारे पहाड़ ढहने लगे दिल्लगी से जो दोस्ती कर ली दिल में इक चाँद को बिठा कर के ह...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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*सजल* मात्रा-भार--16 समांत--आल पदांत--भरा है जीवन यह जंजाल भरा है, मन में सभी मलाल भरा है।। नहीं प्रसन्नता दिखती इसमें, शत्रु विषाद विशाल भर...

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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मासूम --- बच्चे मन के सच्चे  भगवन को लगते प्यारे माँ बाप की आंखों के तारे।। सपनों के रंग हज़ार माँ बाप के राज दुलारे।। बच्चे माँ बाप ही नहीँ ...

देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

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............कुदरत का कहर........... हर तरफ दिखते हैं कुदरत का कहर। हर बस्ती,गाँव,जिला,तालूका,शहर।। जिन पंचतत्व  का बना शरीर हमारा; कभी सहना ...

सुधीर श्रीवास्तव

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मन की बात ------------------ बेटी की चाहत ************          आज के दौर में भी जब बेटी बेटा एक समान का ढोल पीटा जा रहा है ,तब 2002 में मेर...

विजय मेहंदी

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" कवि और कविता "              कवि कविता कवित्र का,              महके       ऐसा      इत्र,              औरन  को  शीतल करे,         ...

चन्दन सिंह चाँद

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सड़क  मैं सड़क हूँ , मैं सड़क हूँ  सबको अपनी मंजिल तक हूँ मैं पहुँचाती हर किसी का भार मैं सहर्ष उठाती चलती हैं मुझपर रोज़ अनगिनत गाड़ियाँ इन गाड़ि...

डॉ अर्चना प्रकाश

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-; हर तरफ धुआं धुआं -;       हर तरफ धुँआ धुँआ ,        हर शख्स सहमा हुआ ।        कौन किससे क्या कहे,          सांत्वना के पंख टूटे ।        ...

जया मोहन

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कुदरत का कहर कुदरत ने ये कैसा कहर बरपाया है हर इंसान मौत के ख़ौफ़ से थर्राया है ज़िन्दगी के पहिये थम से गये सुख गुम हुआ दुख के टीम से घिर गए प्...

रामकेश एम यादव

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मधुशाला! है   मंजिल   तेरी  वो   नहीं, जहाँ   तू   जाता  मतवाला। फाँके  करते  घर   में   बच्चे, और  तू   जाता   मधुशाला। एक तरफ  मंहगाई  डाय...

सुनीता असीम

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इक बार कृष्ण मेरी     गुज़ारिश तो देखिए। बस आपको रिझाने की कोशिश तो देखिए। **** हो दर्द की लहर या सुखों की फुहार हो। पर नाम की तेरे ही निबाह...
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