काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

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नमन मंच एक कविता कितना अच्छा होता  जो मानवता भी झरना सा बहती।  करने को सबको खुशहाल सारी पृथ्वी पर जल सा बहती। आज देखो समाज में मानवता बंजर स...

नंदिनी लहेजा

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नमन माँ शारदे विषय-आकांक्षा आकांक्षाएं  जीवन को सही ढंग से जीने का लक्ष्य है देती आकांक्षाएं   जीवन में कभी हार न मानने के लिए प्रेरित है कर...

रामबाबू शर्मा राजस्थानी

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एस के कपूर श्री हंस

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*।।काफ़िया।।आने।।* *।।रदीफ़।। नहीं होते।।* 1 उजालों में चराग के   माने  नहीं होते। डूबे नशे में उनको मयखाने नहीं होते।। 2 जब तक न उतरे कोई  रू...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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पहला-3 क्रमशः.....*पहला अध्याय* संख युधिष्ठिर बिजय अनंता। नकुल सुघोषय घोष दिगंता।।     संखइ मणिपुष्पक सहदेवा।      संख-नाद कीन्ह कर लेवा।। द...

नूतन लाल साहू

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मैं बीमार हूं मेरा व्याकुल मन बहलाने वाले अब वे मेरे मन की गान कहां है कोई शारीरिक रूप से तो कोई मानसिक रूप से कहता फिरता है,मैं बीमार हूं म...

विनय साग़र जायसवाल

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ग़ज़ल-- खेल क़िस्मत के तो दिन रात बदल देते हैं आदमी बदले न हालात बदल देते हैं जब भी करता हूँ मैं इज़हारे-मुहब्बत उनसे मुस्कुरा कर वो सदा बात बदल...

मधु शंखधर स्वतंत्र

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*स्वतंत्र की मधुमय कुण्डलिया* ----------------------------- *मोती* ◆ मोती सागर में मिले,  सीपी में अनमोल। चमक बसाए आप में,  उज्ज्वल बिल्कुल ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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दोहे बनें बर्फ से ग्लेशियर,करें सरित-निर्माण। सरिता जल का दान कर,करे विश्व-कल्याण।। सड़क प्रगति का स्रोत है,जिससे हो उत्थान। करे सुलभ आवागमन,...

डॉ० रामबली मिश्र

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हरिहरपुरी का छप्पय छंद जग को माया जान, फँसो मत इस वंधन में। ढूढ़ मुक्ति की राह, कामना शुभतर मन में।। डरो नहीं संसार से, हो निश्चिंत चला करो। ...

निशा अतुल्य

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आईना ताँका  5,7,5,7,7 निश्छल प्रेम आज क्यों भटकता यहॉं से वहाँ सतत जो साधना जीवन का आधार । तृष्णा बढ़ती राह है भटकाती  अधीर मन मूंद नैन भागता...

डॉ रश्मि शुक्ला

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विषय--  मित्र   मित्र वर्षा ऋतु हम मिले हम बगीया में झुला डालें। पेंग बढ़ाकरआसमान छुलें। कजरी मल्हार प्रेम रस गालें।  अपनी मन की तुम से कहले...

कुमकुम सिंह

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खालीपन, एकाकीपन कुछ खालीपन सा है इन वादियों में  इन हवाओं में इन फिजाओं में।  कुछ दम घुटने की अहसास से है इन रवानी में  दिल के जज्बात उधेर द...

डा. नीलम

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*बस्ती-बस्ती बात* नैनों की नैनों से जबसे बात हुई  बस्ती-बस्ती बात सारी फैल गई दो चार बातें ही तो अभी प्यार की हुईं ना जाने कैसे अफसाना बन फै...

रामकेश एम.श यादव

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आईना दिखाना है! समय  की धारा में बह  जाना है, पल दो पल का यहाँ ठिकाना है। जो समय  दिया है  ऊपरवाले ने, उसे  मील का पत्थर  बनाना  है। जरुरत क...

नंदिनी लहेजा

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विषय- आखिरी सहारा अंत समय अब लगता है आ  रहा दल दाल में फंसता ही जा रहा डूब रही जीवन की नैया पार लगा दो बन के खेवैया अखियन  में छाए अँधियारा ...

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर

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शीर्षक--इश्क की बीमारी जिंदगी में बीमारी कम नहीँ, औकात बता देती है,अच्छे खासे इंसान को जिंदा लाश बना देती है।। कहूँ कैसे मैं बीमार हूँ  खासा...

डॉ० रामबली मिश्र

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कृष्ण   (सजल) कृष्ण बनना बहुत ही कठिन काम है। कृष्ण में राधिका का सहज धाम है।। कृष्ण निःस्पृह सदा एक रस प्रेम के। गोपिकाओं-लताओं के प्रिय ना...

आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल

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पावनमंच को  प्रणाम, तरु,पेड़ का महत्व मेरी रचना में अवलोकन करें...     जौ पेड़ रहैंगे रहेगी खुशाली छाया तथा हरियाली मिलैगी।।                  ...

सुषमा दिक्षित शुक्ला

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मानव धर्म  मानव धर्म समान जगत में , कोई  धर्म नहीं  है । मानव सेवा से बढ़कर , तो कोई कर्म नहीं है । मानवता का मर्म समझ लो , यही धर्म की परिभ...

अमरनाथ सोनी अमर

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मुक्तक-अंतर्राष्ट्रीय  नशा दिवस!  नशा -नाश का जड़ है प्यारे!  कभी नशा मत करो  दुलारे!  नशा किये सब होता चौपट!  मेरी  बात  समझ लो प्यारे!!  न...

एस के कपूर श्री हंस

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*शिष्टता हो जीवन में।।* *।।विधा।।मुक्तक।।* 1 अहम समाप्त  तो     अहमियत बढ़         जाती      है। सरलता विवेक तो   इंसानियत गढ़      जाती      ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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पहला-2 क्रमशः......*पहला अध्याय* लच्छन सबहिं लगहिं बिपरीता। सुनहु हे केसव मन भयभीता।।       निज बंधुन्ह कहँ जुधि मा मारी।       होवे कबहुँ न...

नूतन लाल साहू

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शराबी के चार दिन शहर हो या गांव हो बन गया है अमर कहानी शराबी के चार दिन का होता है जिंदगी अच्छा भला चंगा जाता है भट्ठी क्षमता से अधिक,शराब प...

मन्शा शुक्ला

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परमपावन मंच का सादर नमन   ..........सुप्रभात................. 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 शतत् प्रवाह मान सदा रहे गतिमान रहो सदा कर्मरत का देती सन्दे...
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