काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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अमरनाथ सोनी अमर

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गीत- मन!  2122,2122, क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन!  यार सुन लो, जान कर मन!!  ना  भरोषा,  कर  किसी  का!  सत्य   कहता   हूँ,   सलीका!  देत धोखा, ...

डाॅ० निधि मिश्रा

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*यामिनी ने करवट में काटी*  यामिनी ने करवट में काटी,  अम्बर तल पर निशा सगरी,  झुरमुट तारों के बीच बैठ,  देखती रही विरहा बदरी । स्निग्ध चन्द्र...

एस के कपूर श्री हंस

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*।।यूँ ही नहीं किस्मत मेहरबान* *बनती है जिंदगी में।।* *।।विधा।।मुक्तक।।* 1 यूँ ही नहीं    कोई  कहानी  बनती जिन्दगी में। यूँ ही नहीं कामयाब र...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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दूसरा-2 क्रमशः.........*दूसरा अध्याय* धरम-जुद्ध अह छत्री-कर्मा। नहिं हे पार्थ औरु कछु धर्मा।।      अवसर धरम-जुद्ध नहिं खोवै।      सो छत्री ब...

विनय साग़र जायसवाल

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ग़ज़ल ---- देख लेता हूँ तुम्हें ख़्वाब में सोते-सोते चैन मिलता है शब-ए-हिज्र में रोते-रोते इक ज़रा भीड़ में चेहरा तो दिखा था उसका रह गई उससे...

नूतन लाल साहू

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स्वेच्छाचारिता सब अपने में मगन बस एक ही चस्का ढेर सारे पैसे पाने का और आगे बढ़ने की होड़ कभी न खत्म होने वाली मरीचिका यही तो है स्वेच्छाचारि...

डॉ० रामबली मिश्र

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माहिया जरा हाथ मिला लेना छोड़ चलो नफरत  रस प्रीति पिला देना। करवद्ध यही कहता बात सदा मानो राह जोहता रहता। करुणा हो सीने में सुनो करुण क्रंदन ...

देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

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शीर्षक................मैं बीमार हूँ................... हाय रे मेरी किस्मत , जीवन मेरा जकड़ गया । मैं बीमार हूँ,इससे पूरा बदन मेरा अकड़ गया।। ज़...

रामबाबू शर्मा राजस्थानी

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अर्ज है..                              आसमान से,               मोती बरसे..               खुशी मनाओ।               दादी बोली,               स...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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गीत-16/16 अच्छा,तुम ही जीतीं  मुझसे, मैं मान रहा हूँ हार प्रिये। हार-जीत का अर्थ न कोई- दिल का अद्भुत संसार प्रिये।। प्रेम हार से कभी न थमता...

कुमकुम सिंह

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घर अपना ऐसा हो- घर वो नहीं जो एक पत्थर से हो  घर वो हो जिस की दीवार दिमाग के तरह इस स्थिर। दिल की तरह भावनात्मक ,  जिस्म की तरह स्वस्थ और सज...

विजय मेहंदी

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" माँ गंगा की यात्रा "                                                                                                            ...

नंदिनी लहेजा

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विषय:-आँसू  मन के अनेक भाव मानव के, जो मुख से कहे न जाए छलके बनकर नीर अखियन से आँसू यही कहलाये जब प्रथम बार माँ अपने शिशु को गोद में अपनी उठ...

रामकेश एम यादव

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पर्यावरण! पर्यावरण का कलेवर फिर सजाने दीजिए, खाली पड़ी जमीं पर पेड़ लगाने  दीजिए। हरी- भरी  धरती हो  औ झूमें  खुशहाली, अब प्रदूषण को ठिकाने  ल...

डॉ० रामबली मिश्र

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मेरी पावन शिवकाशी दशाश्वमेध घाट अति पावन, विश्वनाथ इसके वासी; सब घाटों से यह बढ़ -चढ़ कर, दिव्य पुरातन सुखराशी; गंगा मैया का निर्मल जल, इसी...

निशा अतुल्य

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माहिया पंजाब का प्रचलित लोकगीत (टप्पे) *प्रेमिका व प्रेमी के बीच की बातें* साजन तुम आते हो मिलने की चाहत  तुम और बढाते हो । ये प्रेम निराला ...

अमरनाथ सोनी अमर

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गीत - बुजुर्ग!  जीवन के पथ पर मैं चलकर, सच्चा राह दिखाऊँ!  कभी नहीं मन असमंजस हो, सच्चा राय बताऊँ!!  मेरा तुम्ही भरोसा मानों, सच हो पूरा सपन...

अरुणा अग्रवाल

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नमन मंच,माता शारदे,सुधिजन शीर्षक "प्रेम और स्पर्श" "प्रेम शब्द है अपरिमित, जिसको बयाँ करना,मुश्किल, है यह छोटा,पर जहाँ है समा...

प्रवीण शर्मा ताल

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*कुंडलियाँ* सागर को पार करने,चले वीर हनुमान, लंका में  है जानकी,खोज रहे बलवान।। खोज रहे बलवान,विभीषण के घर जाते। जाते फिर हनुमान,सिया वाटिका...

सुधीर श्रीवास्तव

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संरक्षण करो *********** जल,जंगल, जमीन ये सिर्फ़ प्रकृति का  उपहार भर नहीं है, हमारा जीवन भी है हमारे जीवन की डोर इन्हीं पर टिकी है, धरती न रह...

एस के कपूर श्री हंस

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*।।कामयाबी का अपना एक* *अलग गणित होता है।।* *।।विधा।।मुक्तक।।* 1 गिर कर    चट्टानों   से   पानी  और तेज     होता है। वही जीतता  जो       उम्...

रामबाबू शर्मा राजस्थानी

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डॉ0हरि नाथ मिश्र

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दूसरा-3 क्रमशः......*दूसरा अध्याय*(गीता-सार) सुभ अरु असुभयइ फल कै भेदा। निष्कामी नहिं रखहिं बिभेदा।।       जे जन मन रह भोगासक्ती।       अस ज...

नूतन लाल साहू

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प्रेम और स्पर्श जिसने भी किया ध्यान सच्चे मन से ईश्वर का बडभागी है वह इंसान उसे कोई क्लेश स्पर्श न किया प्रेम और क्या है जीवन का ही गायन है ...

विनय साग़र जायसवाल

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ग़ज़ल--- 2122-1122-1122-22 अपने जलवों से वो हर शाम सजाते रहते उनके हम नाज़ यूँ हँस हँस के  उठाते रहते  कितनी रौनक़ है मेरी रात की तन्हाई में उनक...
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