नाम: पम्मी सडाना
पता: 41, हीरा बाग
दयालबाग, आगरा - 282005
मो॰: 9997396865
कविता: बेटी......
निशा में अमावस की
पूर्णिमा का चाँद तुम
हो विशुद्ध पारस-सी
गरिमामय नाद तुम.
कर्ण में मेरे स्वर तुम्हारा
जैसे सारंग का गान हो
स्वर्ण जैसा तन तुम्हारा
मन सौन्दर्य की खान हो,
दुःख की तरंग में
सुख की हिलोर तुम
पीड़ा के आतंक में
क्रीड़ा की किलोल तुम;
प्रतिकृति तेरी मेरी देह में
आत्मा बन कर रहती है
इसीलिए तो बेटी को माँ
'आत्मजा' भी कहती है,
रैन के अज्ञ अन्धकार में
उदय हुआ रवि तुम
गहन यज्ञ की पुकार में
सौम्य कोई छवि तुम.
रंजीदा उर की प्राण-गति
श्वाँसों की तान हो
संजीदा सुर में स्नेह भरी
धड़कनों का गान हो,
द्वेष से भरे गगन में
प्रीतिकर अनुभूति तुम
रोष के आक्रंदन में
ईश्वर की स्तुति तुम;
निशा में अमावस की
पूर्णिमा का चन्द्र तुम
हो विशुद्ध पारस-सी
गरिमामय सर्वस्व तुम,
बिटिया हो मेरा गर्व तुम
निश्चय ही मेरा गर्व तुम !