अवनीश त्रिवेदी"अभय"

 


अवनीश त्रिवेदी"अभय"


एक अनुप्रासयुक्त घनाक्षरी


चंदन   चमन   बीच,   चमचमाते   चेहरे, 
अरु  चंचल  चक्षुओं, से  चित्त चुराती हैं।
हिय हर्षाती हिलाती, हवा में हाथ हमेशा,
हमराह   मम   उर,  तीव्र  धड़काती  हैं।
मृदु  मंजु  मनोहर,  मुख  मुसकान  बड़ी,
मनमोहक    मुरली,  मृदुल  बजाती   हैं।
उर   उपवन  उठे,  उमंग    उदार    उस,
प्रेम की पीर को अब, सदा ही जताती हैं।


अवनीश त्रिवेदी"अभय"


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