कैलाश , दुबे , हर सख्स की निगाह तुझ पर है ,

कैलाश , दुबे ,


हर सख्स की निगाह तुझ पर है ,


पर तू देख रही है मुझे ऐ हसीं ,


ये एहसान भी तुझ पर ही है ,


ये दिल सोच कर ही देना मुझे ,


मेरा तो खाली मकान आज भी है ,


कैलाश , दुबे ,


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