कवि कुमार अमित (कटरा बाजार गोण्डा उ.प्र) 9696876685
(2) बचपन में खेला कूदा संग संग किया पढ़ाई।
कैसे जन्मा भेदभाव की पौध कहाँ से आई॥
भारत माँ जननी है मेरी हम सब बालक उसके।
सागर की धाराएं निशदिन चरण पखारें जिसके॥
जातिवाद पर भेदभाव का अब तुम बन्धन तोड़ो।
एक राष्ट्र है एक धर्म है उसको आगे जोड़ो॥
पुरखो ने कुर्बानी दे दे आजादी हमे दिलाई।
कैसे जन्मा भेदभाव की पौध कहाँ से आई॥
एक जैसा है रक्त है सभी का एक ही सबकी भाषा।
उत्पीड़न ना किसी का होए,ना हो कोई तमासा॥
विश्व गुरु हम भारतवासी यह दायित्व निभाएँ।
मेरे घर और शिक्षा लेकर परदेशी भी जायें॥
किसी ग्रन्थ में नहीं मिला, संविधान में नहीं लिखाई।
कैसे जन्मा भेदभाव की पौध कहाँ से आई॥
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