प्रिया सिंह लखनऊ डरे सहमे लोग

डरे सहमे__ से आज यहाँ हालात क्या करेगें।
आतंक के शोर में अहिंसा की बात क्या करेगे ।।


आज मनुष्य को अपने घर की परवाह नहीं है।
ऐसे भारतवर्ष में गांधी के खयालात क्या करेंगे।।


दे कर नहीं लेकर पाप सब जा रहें हैं धीरे-धीरे ।
जाते-जाते बेनज़ीर, नार के हवालात क्या करेंगे।।


हर शब्द पर उनके यहाँ ___ अंगारे शर्मिन्दा हैं।
इस नागवार मालिक से___ सवालात क्या करेंगे।।


जम्हूरीयत को बेच कर वो शहंशाही दिखाते हैं।
इस नाचीज़ के लेखन का मक़ामात क्या करेंगे।।


 


 *Priya singh*


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