शाश्वत अभिषेक मिश्र कटाये सर जिन्होंने हैं

गणतंत्र दिवस की अशेष शुभकामनाओं के साथ


शाश्वत अभिषेक मिश्र


कटाये सर जिन्होंने हैं वतन की शान की खातिर,
लुटाया है सभी कुछ धर्म व ईमान की खातिर,
मेरी कविता मेरी ग़ज़लें उन्हीं को ही समर्पित है,
कभी मैं कुछ नहीं लिखता किसी इंसान की खातिर।
~शाश्वत अभिषेक मिश्र


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...