सुलोचना परमार उत्तरांचली नयन कजरारे जाते जाते

*नयन*
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नयन कजरारे जाते जाते
कह गए कुछ ऐसी बात।
दिल में हलचल मची है मेरे
चेन न आये अब दिन रात ।



 मृगनयनी है वो तो देखो
नयन करें उसके मदहोश ।
उन नयनों में डूब जाऊँ मैं
रहे न अब मुझे कोई होश ।



 कमल नयन हैं उसके यारो
मन्द -मन्द मुस्काये वो ।
गहराई मैं नाप रहा हूँ
 कितना और  डुबोएँगे वो ।



कभी नयन जो छलके उनके
उनमें नहाया करता हूँ ।
मन ही मन मैं करूँ प्यार
पर व्यक्त नहीं कर पाता हूँ ।



स्व रचित


🌹🙏 सुलोचना परमार🙏🌹


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