सुनील कुमार गुप्ता
कविता:-
*"मंज़िल"*
"पा सके मंज़िल अपनी साथी,
सहज नही-
इस जीवन में।
असम्भव नही काम कोई साथी,
जो कर न सके-
इस जीवन में।
सुख दु:ख धूप छाँव से,
साथी संग चलते-
इस जीवन मे।
भक्ति संग ही तो साथी,
मिलता सुख -
इस जीवन में।
थक न जाये तन-मन साथी,
जब तक आस -
इस जीवन में।
महकती रहे जीवन बगिया,
साथी अपनत्व संग,
इस जीवन में।
चलते रहना सत्य -पथ पर,
जब तक मिले न मंज़िल-
इस जीवन में।
पा सके मंज़िल अपनी साथी,
सहज नहीं -
इस जीवन में।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 28-01-2020
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