विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र कविता

नाम-विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र 
 पिता- श्री राधेश्याम मिश्र 
पता- नरई संग्रामगढ प्रतापगढ उ प्र 
मो 9198989831


हम अपना भार उठाते है
जीवन की गाडी ठीक नही   
पर उसे रोज  बनाते है |
कभी दाल भात मिल जाता है 
कभी सूखी रोटी खाते है|
                                  हम अपना भार उठाते है
कंधे पर मेरे गुरु भार है 
परिवार से खूब प्यार है
पढने लिखने की उम्र मे 
रोजी रोटी कमाते है    
                                 हम अपना भार उठाते है 
कौन देखता मेरी दुर्दशा
बर्वाद करती परिवार को नशा
सभी देखते रोज तमाशा 
उर मे छाले सहलाते है  
                               हम अपना भार उठाते है
मत पूछो क्या क्या सहता हूं
घर नही खुले मे रहता हूं
चुुप रहकर सब कुछ सहता हूं
हम गरीब कहलाते है 
                       हम अपना भार उठाते है
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र


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