देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी" हास्य कविता .मेरी समधन................... बड़ी  भोली-भाली  है

 


देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी" हास्य कविता


.मेरी समधन...................


बड़ी  भोली-भाली  है , थोड़ी  नखरेवाली  है।
ये जो मेरी समधन है,समधी की घरवाली है।।


गोरे  गाल  बाली   है , काले  बाल  बाली  है।
तीखे नाक बाली है,झील-सी आँख बाली है।
ये जो मेरी समधन है , सौंदर्य की  थाली है।।


समधी के लिए छाली है,मदिरा की प्याली है।
इनकी चाल मतवाली है,हर अदा  निराली है।
ये जो  मेरी समधन  है, देती मोहे  गाली  है।।


सदा मुस्कानेवाली है ,द्वेष-घृणा से खाली है।
तीक्ष्ण  दिमागवाली  है , चिर सुहागवाली है।
ये  जो मेरी  समधन है ,बड़ी भाग्यशाली है।।


हर  दिन  होली  है ,  हर   रात  दीवाली  है ।
घर की ख़ुशीहाली है , मन की  हरियाली है।
ये जो मेरी समधन है , ये ही  मेरी साली है।।


-----देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"


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