*प्रभात वंदन*
नव दीप जले हर मन में,
अब तो भोर हुई हुआ उजियारा।
लगे विहग धरा में चहकने,
रवि किरणों से जग सजे सारा।।
बहे पावन सरिता का जल,
हिमशिखरों पर लालिमा छायी।
बनकर ओस की बूँदें छोटी,
जल मोती यह मन को भायी ।।
भानू की अब चमक देखकर,
छिप गये तारे हुआ उजियारा।
सजाया है जग निर्माता ने,
नभ जल थल सुंदर प्यारा।।
......भुवन बिष्ट
रानीखेत( उत्तराखंड)
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