गनेश रॉय" रावण"✒
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
"नही मिला सुकून मुझे"
"""""""""""""""""""""""'''''""""""'
सुकून के कुछ पल बिताने
गया था मैं अपने गाँव में
ठंडी पूर्वाइयो के छाँव में
पंछियों के मीठी तान में
पेड़ों पर लिपटी
अमरबेल के साथ मे
वो गाँव की पुरानी पनघट में
गोरी की खनकती चुडे में
झम - झम करती पाजेब में
काली जुल्फों की बादल में
बनके आवारा उड़ने चला था
मस्त गगन के छाँव में
पर ऐसा हुआ नही
मेरे अनुरूप गाँव मे
चारो तरफ थे सोर सराबे
और रंजिशों के माहौल थे
एक से बढ़ कर एक खड़े थे
चुनावी मैदान में
ऐसे में मेरा दम था घूँटता
कैसे सुकून का पल मैं ढूंढता
चला आया मायूस होकर
कल-कारखाने की संसार में
पल भर भी नही मिला
सुकून मुझे मेरे गाँव मे।
✒गनेश रॉय" रावण"✒
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
9772727002
©®
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511