🎍🌷दोहे🌷🎍
********************
मानव धन का दास है,
धन न किसी का दास।
जो समझा इस राज को,
वही प्रभु का खास।
🎍
यौवन जाता देख कर,
मन में उठे विचार।
जीवन में कुछ कर चलो,
होगा बेड़ा पार।।
🎍
बात - बात में बात हो,
अगले क्षण हो विवाद।
सब बातों का एक हल,
मौन रहो निर्विवाद।।
🎍
कथनी करनी एक सी,
जिस दिन होगी जीव।
धरती पर आनन्द की,
वृष्टि होगी अतीव।।
🎍
पाती है जब आत्मा ,
सन्तो का सत्संग।
तब आता सद् आचरण,
बदल जायें सब रंग।।
*******************
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
▼
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511