शुभ प्रभात
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मूल्यांकन
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सोने वालोंं जागो,
जाग जाओ।
यह जीवन
यूं ही न खोओ,
इसका मूल्य समझो
इसकी कीमत जानो
अपना विवेक जगाओ।
तुम्हारा धन गया
तो क्या गया
कुछ भी नहीं,
तुम्हारा स्वास्थ गया
तो समझो कुछ नहीं गया,
किन्तु
यदि चरित्र ढहा
तो समझना
जीवन धन ही गया,
सब कुछ निकल गया,
क्यों कि
चरित्र ही धर्म है,
सबसे बड़ा।
चरित्र जीवन की कुंजी है।
जीवन में
चरित्र ही अमूल्य निधि है,
जहां कहीं
जिस किसी
गली -कूचे
गांव शहर से गुजरेगो
तो, इसी से होगा
तुम्हारा मूल्यांकन।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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