मासूम मोडासवी

हमपे  रहा न तेरा करम क्या करें जनाब
बरपा हुवा हमीपे सितम क्या करें जनाब


इन्सानियत से जीनेका अपना रहा उसूल
टूटा मगर ये सारा भरम क्या करेः जनाब


हमने  ईबादतों  में  की जन्नत की आरजु
ख्वाबो मे पला बागे इरम क्या करें जनाब


मिलजुल के जीने वाले  इरादों पे  चोटकी
कैसा  निभाया हमने  धरम क्या करें भला


चाहीथी  दिलने  सारी  जमानें  की  राहतें
मासूम बढे हैं इतने अलम क्या करें जनाब


                            मासूम मोडासवी


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