ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई
भोर का नमन
मेरी पुस्तक *गीत गुंजन* से
*हे मात पिता हे गुरुवर प्यारे, इतना सा उपकार करें।*
*नमन भोर का करूँ आपको, प्रभुवरश्री स्वीकार करें।।*
*अम्बर धरती भानु शशी हे, अनल पवन हे प्रिय प्यारे।*
*तरु तरुवर हे पर्वत सागर, नील गगन के सब तारे।।*
*हे अरि मित्र सकल प्रिय परिजन, इतना सा उपकार करें।*
*नमन भोर का करूँ आपको, आप सहज स्वीकार करें।।*
*मनवीणा की सरगम साँसे, गीत नेह का गाती हैं।*
*और आपके कृपाभाव से, पुलकित सी हो जाती हैं।*
*पुण्य पटल प्रिय प्रीत पुनीता पुनि पावन परिवार करें।*
*नमन भोर का करूँ आपको, आप इसे स्वीकार करें
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