सत्यप्रकाश पाण्डेय

ख्वाबों में तू भावों में तू
तू ही दिल की धड़कन में
स्वांस स्वांस रोम रोम में
तू मेरे मन की पुलकन में


जकड़ा जकड़ा सा रहता
नहीं रहती हो मेरी दृष्टि में
रोमांचित पल पल लगता
रहूँ तेरी यादों की वृष्टि में


दिलजुबा तू दिलवर मेरी
दिल पर डाला डाका तूने
दिल दिखा दिलदार मेरी
किया प्रभात भी राका तूने


दिशा दिशा में दृष्टि लगाये
दिकभ्रमित सा होता रहता
दिख जाये दिल के करीब
मैं तुझमें दिल लगाये रहता


द्रवित हुआ सा दीन बना
चातक को दिनकर की चाह
सत्य बना दीवाना दिलकश
बस तेरे दीदार की परवाह।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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