आशा जाकड़

विश्व गौरैया दिवस


गौरैया ः हाइकु 


चीची कर के 
सबको तू जगाती
खुश हो जाती 


फड़फड़ाती 
आती थी तू सुबह
शोर मचाती


मेरी गौरैया
रूठ गई मुझसे
खड़ी कब से


तेरा घोंसला
ठंडी आह सी भरे
प्रतीक्षा करे


रुई के फाये
याद करके रोयें
आजा चिड़िया


गाएँ गौरैया
खूब चहचहाएँ
गीत सुनाएँ


पेड़ बुलाते
सूनी हो गई शाखें
कहाँ हो पाखें?
 
लौट आओ न
गौरैया आजाओ न
रूठ गई हो?


तिनका लाती
बीन बीन करके
घर सजाती


कोलाहल से 
पक्षी उड़ गये हैं
निज डैनों से


 


आशा जाकड़
9754969496


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