अखंड प्रकाश कानपुर

आज अकेले लड़ना मुश्किल,
सबको यह समझना होगा।।
आपदाओं से बचना हो तो,
मिल कर कदम बढ़ाना होगा।।
डरो नहीं डरवाना मत बस ।
एक राह अभिव्यक्ति की है।
आज जरूरत हर शरीर में।
बढ़ी आत्मशक्ति की है।।
सुभग स्वक्षता कण कण की हो।
सबको यह बतलाना होगा।।
आपदाओं से बचना हो तो।
मिल कर क़दम बढाना होगा।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...