बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु) बाढ़ - पटना

कोरोना


वायरस कोरोना 


जैविक  तत्वों से बना वायरस
अंदर  जब  घुस  जाता है
बारह      धंटे      पूरे      होते  
और  फिर  मर  जाता  है।
बारह  दिनों तक ऊपर - ऊपर
गला  नाक फंस जाता है
हल्की   बुखार   दर्द   देह   में 
खाँसी  से  लद  जाता  है।
महामारी   कितने   ही   आए 
अब   कोरोना   भारी   है
हैजा   प्लेग  न  जाने  कितने
आते  ये  बारा  -  बारी है।
बचपन   से  पचपन  तक  मैंने
बहुत  कुछ  ऐसे  देखे  हैं
षड्यंत्र  दवा  माफियाओं  का 
कुछ अलग इनके ठेके हैं।
अरबों   के   धंधा   हैं   चलते
जनता तो पागल अंधी है
गुमराह  में  हम सब रह जाते   
आदत  बड़ी  ये  गंदी  है।
पैंतिस   डिग्री  तापमान  तक
वह  जिंदा  रह सकता है
अगर  बढ़ा  यह तापमान  तो
कोरोना   मर  सकता  है।
आओ  जतन  करें हम अपना
देखे   फिर  सुंदर  सपना
साफ   सफाई   और  दूरी  से
सार्थक होगा अब बचना।
वायरस  वुहान  में  जन्मा था
चार  सौ माइक्रोन वाला
अमेरिका फ्रांस इटली जर्मनी
सबका  है हुआ दिवाला।
गुणांको  में  यह  फैल रहा है
कोई   है   नहीं   अछूता
होता  है  खिलवाड़  चीन  में
मारो  अब  उनको  जूता।
जागृत   है   सरकार  हमारी
हाथ  में  हाथ  दें  उनका
थोड़ा कष्ट मिलकर सह लेंगे
होगा  भला  फिर सबका।


बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - (बिन्दु)
बाढ़ - पटना


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