*कोरोना: बचाव ही इलाज*
रोग विदेशी भयावह, कोरोना जी नाम ।
मित्रों करें बचाव बस, वर्ना काम तमाम ।।
परिजन पुर जन स्वच्छ ,हों, खुद भी रहिए साफ ।
परजीवी कीटाणु हैं, नहीं करेंगे माफ।।
जूडी खांसी शूल सिर नजला आंखें लाल ।
अवरोधन कुछ श्वास का, लक्षण भारी भाल ।
नहीं हाथ मुँह पर रहे, छींकें जा एकांत ।
नमन करें दूरी रखें, जागें मीत नितांत । ।
उष्ण भोज्य हल्का तरल, घर दी रोटी दाल।
गर चूके चौहान तो, करना पड़े मलाल।।
रोग ग्रसित या शंकर वत, ढ़ूँढ़े वैद्य सुषैन।
परिचर्या उत्तम दवा, माने तद प्रति बैन।।
डॉ प्रखर दीक्षित
फर्रुखाबाद (उ.प्र.)
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