डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"कैसे लगे मन"


तुम्हारे बिना मन लगे भी तो कैसे,
तुम्हीं हो सितारे नयन के हमारे,
कसम खा के कहता हुआ बेसहारा,
तड़पता है दिल बिन तुम्हारे बेचारा।


बहुत दिन हुए इंतजारी में तेरे,
नहीं सुध तुझे है हो कैसे गुजारा,
हुए इतने निष्ठुर तुम कैसे बता तो,
देगा मुझे कौन अब वो सहारा।


पथरा गयी हैं ये आँखें हमारी,
यादें तुम्हारी सताती हैं प्यारी,
चले आओ प्यारे उदासी की बस्ती,
चमन में खिले पीत रंगों की क्यारी।


बरस जाओ बादल हरष जाये मनवा,
उदासीन मुखड़े से निकले अब गनवाँ,
पुरुवा हवा अब बहो बन के खुशबू,
मिले जिन्दगानी में सुन्दर सवनवां।


नमस्ते हरिहरपुर से---


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801


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