एस के कपूर श्री हंस* *बरेली।*

*बहुत छोटी सी तेरी जिंदगानी है।*
*मुक्तक*


बचपन,   जवानी,   बुढ़ापा
फिर खत्म कहानी है।


मुट्ठी की रेत   की तरह  बस
यूँ   ही  बीत जानी है।।


देख ले   यूँ ही   जाया  न हो 
धरती पर  तेरा  जीवन।


याद रहे कि  बहुत  छोटी  सी
तेरी     जिंदगानी   है।।


*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।*
मो  9897071046
     8218685464


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