हलधर

ग़ज़ल ( हिंदी) ( कोरोना)
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पड़ौसी चीन से फैला ये विष कण नाम कोरोना ।
मुझे जैविक लड़ाई का  दिखे  आयाम  कोरोना ।


इशारों में हमें यह दे रहा पैगाम कोरोना ।
नमस्ते ही करेगी देश में नाकाम कोरोना ।


हमारी जीत पक्की है रखेंगे सावधानी यदि ,
नहीं तो सिर मुड़ा देगा बड़ा हज्जाम कोरोना ।


जरूरी है सभी को हाथ धोना गर्म पानी से ,
नहीं तो जिंदगी का मौत में अंजाम कोरोना ।


नमाजें भी अभी कुछ रोज सजदा हों अकेले में ,
नहीं तो कौम को कर जायगा नीलाम कोरोना ।


पुजारी जी  अभी भगवान को आराम करने दो ,
अयोध्या और काशी में न हो कुहराम कोरोना ।


घरों में नित हवन की अब पुरानी आदतें डालो ,
कपूरी गंध से होता सदा गुमनाम कोरोना ।


बचो जितना बचा जाये मगर डरना नहीं यारो ,
हकीकत है शराबी से डरे गुलफाम कोरोना ।


हमारी  वेद  परिपाटी  दिखाये  राह  दुनियां  को ,
जहां लिखता ग़ज़ल"हलधर"करे क्या काम कोरोना ।।


हलधर-9897346173


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