कवि✍️डॉ. निकुंज

💐🙏सुप्रभातम्🙏💐
ममतांचल नित स्वर्ग सम, नेहामृत आगार। 
अम्बर से ऊँचा पिता,  जीवन का आधार।।
है त्रिदेव से श्रेष्ठतर , हरे   तिमिर  संसार।
मातु पिता बन मीत गुरु , महिमा अपरम्पार।।
साधु समागम कठिनतर, दर्शन पुण्य प्रदेय। 
नमन करूँ माता पिता, चित्त साधु गुरु  ध्येय।। 
कवि✍️डॉ. निकुंज


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