कवि परमानंद निषाद ग्रा0- निठोरा, पो थरगांव ,कसडोल, बलौदा बाजार(छग)

नव्या


नव्या मेरी प्यारी बहना।
घर रोशन करने आ गई ।
मान बढ़ाने माता-पिता का।
प्यारी बहना तु आ गई।
सूरज जैसे चमकता चेहरा।
चांद की तु वो लाली हो।
मुस्कुराते हो जब तु बहना।
बहुत प्यारी तुम लगती हो।
नव्या मेरी प्यारी बहना।
 तु है गंगा,तु है जमुना।
तु दिखाती निर्मल धारा।
सिंधु,साइना जैसी तु।
मान बढ़ाने आई है।
नव्या मेरी प्यारी बहना।
 हौसलों की उड़ान है तु।
तेरे चेहरे को देखकर।
दिल मे सकुन आ गया ।
नव्या है माता-पिता का।
मान,अभिमान और सम्मान।
अपने भैया परमानंद निषाद के।
कलाई मे राखी बांधने आ गई।
तु माँ बाप की इज्जत ईमान है।
तु है अपने भैया के। 
मान और जान।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...