नूतन लाल साहू

महिला दिवस पर दो टूक
तू क्यों इतना सोचता है
विधि के विधान को
समझ न पाया कोई भी
तकदीरो का राज
महिला पुरुष,दो पहिए है
एक ही,गाड़ी के
यही है, विधि का विधान
इसीलिए,मै कहता हूं
महिलाओं का भी कर सम्मान
कन्या पैदा हो गई
तो का हे को रोये
पुत्रो जैसा यह नहीं
तेरा नाम डूबो ये
सभी दुखो से मुक्ति का
निकला नहीं निचोड़
जिन मसलों का हल नहीं
उन्हें समय पर छोड़
तू क्यों इतना सोचता है
विधि के विधान को
समझ न पाया कोई भी
तकदीरो का राज
स्वर्ग नरक एक कल्पना है
है असत्य ये धाम
यही भुगतना पड़ेगा
कर्मो का अंजाम
यह जीवन इक युद्ध है
कभी जीत कभी हार
जिसने छोड़ा मोरचा
उसको है धिक्कार
तू क्यों इतना,सोचता है
विधि के विधान को
समझ न पाया कोई भी
तकदीरो का राज
नहीं हुआ,अगर काम तो
गम न कर इंसान
बदल नहीं सकता कोई
विधि का अटल विधान
कब क्या कर दे,यह समय
कौन सका है, जान
एक दिन,मिट्टी में मिल जायेगा
क्यों करता है,अभिमान
तू क्यों इतना सोचता है
विधि के विधान को
समझ न पाया कोई भी
तकदीरो का राज
महिला पुरुष, दो पहिये है
एक ही, गाड़ी के
ये है,विधि का अटल विहान
महिलाओं का भी,तू कर सम्मान
नूतन लाल साहू


 


 


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