आव्हान
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब, खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं,अपनी छाती में
छत्तीसगढ़ राज्य,बन गया है
छत्तीसगढ़ी भाषा को, सजाना है
हर खेत को,लहलहाना है
हर हाथ को,काम दिलाना है
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब,खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं,अपने छाती में
विज्ञान की चमत्कार को देखो
घर से निकलना, दुभर हुआ
बम चलाने वाले प्यारे
खुद मर जाते हैं, बेमौतो से
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं, अपने छाती में
जो देश के खातिर मर मिटे
उसे कुर्बानी कहते हैं
पसीने में सुगन्ध,आती है
किसान जब,अन्न बांटते है दूसरों को
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो अब खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं, अपने छाती में
कुर्बानी देकर जो कुर्बान हुये
वे देश के निशानी,रहते हैं
ये नौजवानों,होश में आ जाओ
अन्नदाता बन जाता है,किसानी में
बम की दुनिया छोड़ चलो
काम करो, अब खेतो में
जय किसान और जय जवान
पसीना बहाते हैं, अपने छाती में
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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