*एकतरफा प्यार*
विधा : कविता
दिलसे जिसे याद करते है,
वो हमें याद करती नहीं।
हम जिस पर मरते है,
वो और पर मरती है।
बड़ी विचित्र स्थिति है,
मोहब्बत करने वालो की।
जो एक दूसरे लिए,
बिल्कुल अजनबी है।।
दिल में मोहब्बत के,
दीये तो जल रहे है।
और उस अजनबी को,
एकतरफा दिल दे बैठे है।
जबकि उसे मोहब्बत का,
अतापता ही नहीं है।
जो दिलसे चाह रहा उसे,
उस पर उसका ध्यान नहीं।।
किसीसे दिल लगाना,
या लग जाना।
ये तो आंखों का खेल है,
जिससे प्यार हो जाता है।
और दिल की तड़प को,
दिन प्रतिदिन बढ़ाता है।
और एकतरफा मोहब्बत,
अपने दिल में पनपता है।
जिसे हम प्यार मोहब्बत,
कह नही सकते।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
03/03/2020
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