कविता:-
*"यात्रा"*
"सुखद हो यात्रा जीवन की,
साथी नित दिन-
ऐसा हो प्रयास।
मधुर हो संबंध जीवन में,
अपनत्व का पल पल-
जीवन में हो आभास।
महकती रहे जीवन बगिया,
सद्कर्मो संग साथी-
सद्-संस्कारो का हो विकास।
साधना-अराधना-उपासना संग,
जीवन में साथी-
प्रभु में हो दृढ़ विश्वास।
बढ़ते रहे प्रगति पथ पर,
मिले सफलताएं-
छुए आकाश।
सुखद हो यात्रा जीवन की,
साथी नित दिन-
ऐसा हो प्रयास।।"
सुनील कुमार गुप्ता
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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