सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
    *"लौट आये मेरा बचपन "*
"मन करता फिर से मेरा,
लौट आये मेरा बचपन।
खेलू खेल खिलौनों संग,
भूल जाऊँ जीवन की तड़पन।।
स्वार्थ नहीं बसता यहाँ,
ऐसा ही है- ये बचपन।
सब अपने से लगते फिर,
कोई नहीं यहाँ दुश्मन।।
हर पल भटकन भरी मन में,
कैसे-बीते ये जीवन?
मन करता फिर से मेरा,
लौट आये मेरा बचपन।।"
ःःःः         सुनील कुमार गुप्ता
      19-03-2020


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511