कविता:-
*"लौट आये मेरा बचपन "*
"मन करता फिर से मेरा,
लौट आये मेरा बचपन।
खेलू खेल खिलौनों संग,
भूल जाऊँ जीवन की तड़पन।।
स्वार्थ नहीं बसता यहाँ,
ऐसा ही है- ये बचपन।
सब अपने से लगते फिर,
कोई नहीं यहाँ दुश्मन।।
हर पल भटकन भरी मन में,
कैसे-बीते ये जीवन?
मन करता फिर से मेरा,
लौट आये मेरा बचपन।।"
ःःःः सुनील कुमार गुप्ता
19-03-2020
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