सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
     *"दिल की किताब"*
"दिल की किताब पर साथी,
लिख दिया -
बस एक नाम तेरा।
हर एक पल जो बीता,
संग तेरे साथी-
यादों में बसा मेरा।
पलको की छाँव में  साथी,
तेरी बाहो में साथी-
बीते पल दर्ज़ दिल की किताब में मेरी।
मत खुलवाओं बंद पन्नों को,
बंद रहने दो दिल की किताब-
सह न पाओगे दर्द मेरा।
भूल जाओ कही- अनकही,
दिल से न लगाओं-
मत बनाने दो फसाना मेरा।
दिल की किताब पर साथी,
लिख दिया-
बस एक नाम तेरा।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः          सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःः    
           21-03-2020


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