सुरेंद्र सैनी बवानीवाल

साफी है 


कैसे मानूं तेरी माफ़ी है. 
तेरा साथ आना काफ़ी है. 


तुझे नक़ाब का शौक है, 
मेरे हाथ में साफी है. 


तुम मेरा इश्क़ हो गहरा, 
ना मानो ये सराफी है. 


हरदिन अनगिनत ख़्वाब है, 
इनकी कहाँ हराफी है. 


बस तू मिल जाए "उड़ता ", 
ज़िन्दगी में यही ट्रॉफी है. 


✍️सुरेंद्र सैनी बवानीवाल


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