सुरेंद्र सैनी बवानीवाल  झज्जर, (हरियाणा )

इश्तहार की तरह.... 



सुबह होते ही 
मैं सजा लेता हूँ अपने आप को 
अख़बार के इश्तहार की तरह 
दुनियादारी में सबसे हँसके मिलता हूँ 
जबकि कुछ लोग मुझे पसंद नहीं 
बाज़ार के रंगों में रंग जाता हूँ 
और खुद को कहीं खो देता हूँ 
इश्तहार हूँ इसलिए 
हर किसी की नज़र में हूँ. 
चलो अच्छा है "उड़ता "
इस इश्तहार में सबके लिए कुछ छपा है. 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
झज्जर, (हरियाणा )


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