हर मौसम चेहरा...
हर मौसम मुझे
लगता है एक -एक चेहरों सा
कि सभी का अलग मिज़ाज़ है
कोई चेहरा खिलती धूप सा
कोई चेहरा लाल फागुन सा
किसी चेहरे पर नमक है
कोई चेहरा ख़ुश्क हवा सा
लेकिन हर मौसम कि अपनी एक महत्ता
जैसे कि सभी चेहरों का
अपना एक अलग एहसास.
कोई महकता फूल अमराई सा
कुछ बहता दूर पुरवाई सा
कोई सख़्त बना मौसम.
ये दुनिया भरी है चेहरों से
लेकिन हर चेहरा नहीं भाता
कोई एक होता है अपना सा.
जिसे ताउम्र हम चाहते हैं.
"उड़ता " पसंद करते हैं,
उजले मौसम सा.
✍️सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
झज्जर (हरियाणा )
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