डॉ0हरि नाथ मिश्र

*समय*(दोहे)
समय समर्थ अजेय है,समय सदा सरनाम।
समय से पहले हो नहीं,कभी न कोई काम।।


समय-काल पहचान कर,करते हैं जो काम।
सदा वही होते सफल,करके काम तमाम।।


बुद्धिमान नर है वही,जो समझे गति काल।
वाँछित फल पाता वही,रखे न कभी मलाल।।


राजा को यह झट करे,सिंहासन से दूर।
अभिमानी का मान हर,करे मान-मद चूर।।


उत्तर से दक्षिण तलक,पश्चिम से अति पूर्व।
समय-पताका उड़ रहा,सत्ता समय अपूर्व।।


यदि जग में रहना हमें,रखें समय का ध्यान।
समय-समादर यदि करें,निश्चित हो कल्याण।।


समय-महत्ता को समझ,जिसने किया है काम।
पूजनीय-महनीय वह,उसका ही है नाम ।।
                ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                   9919446372


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