कुंती नवल मुंबई

चिड़िया बोली पेड़ों से
तुम भी ले लो खुल कर सांस
आक्सीजन पसर जाए
मानव के जीवन की बढ़ जाए आस
आत्म चिंतन कर ले मानव
कुदरत में तेरा अंश है जो
 प्राणों में भर ले।
समीर  बह रहा मंद मंद
उसको श्वासों में भर ले
परिंदों को खुलेआसमान में
बेख़ौफ़ विचरने दो
नन्ही चिड़िया को
चीं- चींं कर फुदकने दो
दाना पानी रख औसारे में
चहक- चहक चुगने दो।।
कुंती नवल
मुंबई


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