सुनीता असीम

मिलन का भी जरिया दिखाई न दे।
किसी  को  खुदा  वो   जुदाई न दे।
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कोई खुशी नहीं हो जबावों से जब।
तो ऐसे  जने  को        सफाई न दे।
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जो आंखों पे पर्दा पड़ा     झूठ का।
उसे सच का चहरा     दिखाई न दे।
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फरेबों से रिश्ता भरा        जो रहे।
मुहब्बत की उसको     दुहाई न दे।
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बड़ा बेरहम जो   रहा  हो      उसे।
रहम की गुजारिश      सुनाई न दे।
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सुनीता असीम
20/4/2020


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