सुशीला शर्मा  जयपुर

नव दुर्गा (भजन )
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‌माता शेरावाली लो फिर ,
धरती पर अवतार 
रक्त बीज फैले हैं जग में 
आओ करो संहार।
         माता शेरावाली लो फिर 
         धरती पर अवतार ।


शैलपुत्री का जन्म लिया 
नंदी की करीब सवारी 
ब्रह्मचारिणी बनकर शिव की 
करी तपस्या भारी 
         माता शेरावाली लो फिर 
         धरती पर अवतार ।


शिव से किया विवाह और 
चन्द्र अपने शीश में पाया 
अष्टभुजी बन कर कुष्मांडा 
धरती रूप बनाया 
       माता शेरावाली लो फिर 
        धरती पर अवतार ।


कार्तिकेय की माता बन 
स्कंध रूप में आई 
जन्म लिया जब ऋषि के घर 
तब कात्यायनी कहलाई 
        माता शेरावाली लो फिर 
        धरती पर अवतार ।


कालरात्रि रूप धरा और
रक्तबीज को मारा 
गंगा स्नान किया गौरी बन 
शिव को तूने पाया 
         माता शेरावाली लो फिर 
         धरती पर अवतार 


सिद्धिदात्री जन्म लिया और 
शिवशक्ति बन आई 
असुरों का वध कर तू 
दुर्गा चंडी रूप में आई 
        माता शेरावाली लो फिर 
        धरती पर अवतार ।


पृथ्वी पर फिर से फैला है 
भारी अत्याचार 
नवदुर्गा के रूप में आकर 
करो जरा उद्धार 
             हे माँ शेरावाली लो फिर 
             धरती पर अवतार 


स्वरचित 
सुशीला शर्मा 
जयपुर


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