अनिल प्रजापति जख्मी भांडेर दतिया

शीर्षक- मेरा हिंदुस्तान


 विधा -कविता


 


 


 सदियों से ना पीछे हैं ना कभी रहे मेरा हिंदुस्तान


 वीर अभी भी है यहां पर जाने ना देंगे हम शान


 अब आगे जो कदम बढ़ाया कसम हिंदुस्तान की


 चीन चीन कर मारेंगे खैर नहीं अब तेरे जान की


 


 मेरा हिंदुस्तान महान बच्चे बच्चे बोल रहे


हो हिम्मत आन लड़ो जय भारत माता बोल रहे


 


 घर-घर में झांसी की रानी ना कृपाण पुरानी है


 भारत की वीर गाथा तो माहिर जग में जानी है


 


 भगत सिंह सुखदेव राज गली गली में घूम रहे


 भऱी वीरता कूट-कूट कर मस्ती में यह झूम रहे


 


 


                 स्वरचित


 अनिल प्रजापति जख्मी भांडेर दतिया मध्य प्रदेश


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