*चित्रकर्म*
हार नहीं मानूंगा
रार नहीं ठानूंगा
कर्म फावड़े से
लक्ष्य अपना साधूंगा
भ्रम में मत रहना कोई के..
हम मजलूम या हैं लाचार
कर्म फावड़ा हाथ ले हम
भी बन जाते हैं पार्थ
कर्म की आँख पर रख निगाहें
लक्ष्य हम संधान करें पर..
हमारी कर्मभूमि पर दुर्योधन-से शैतान खड़े
हर वार हमारी मेहनत के
श्रम सीकर से संधारित
सिंहासन हैं संवारते पर..
शकुनि से दुष्ट हमें हर बार
निर्वासित करते
पर हार नहीं मानूंगा
रार नहीं ठानूंगा
कर्म के फावड़े से
लक्ष्य अपना साधूंगा।
डा.नीलम कौर
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